टंडवा। टंड़वा प्रखंड के तरवा (बराडीह) ग्राम सभा (पिपरवार क्षेत्र) में वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के तहत अमसभा कर बोर्ड बोर्ड लगाया गया। साथ ही गाँव के अधिकार क्षेत्र में अपने संसाधन क्षेत्रों की घोषणा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता किचटो पंचायत मुखिया संगीता देवी एवं संचालन अनिल कुमार महतो ने किया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित युवा समाजसेवी आंदोलनकारी विकास महतो ने कहा की ग्रामीणों की आजीविका वन उत्पाद, गौण खनीज और वन पर विशेष रूप निर्भर है। जंहा एक ओर सरकारें वन और वनभूमि बचाने में नाकाम है। वही कई ग्राम सभाओं ने वनभूमि को बचाकर उचित प्रबंधन कर अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। यूँ तो आदिकाल से जंगलो पर ग्राम सभाओं का सामुदायिक अधिकार रहा है लेकिन अंग्रेजो ने 1865 में राष्ट्रीय वन नीति बनाकर वनों पर ग्रामसभाओ से अधिकार छीनने का काम किया। जिसके खिलाफ कई विद्रोह होते रहा लेकिन आजाद भारत में ग्रामसभाओं को व्यापक अधिकार नहीं मिला और सरकार के अधीन उजड़ते वन और घटते वनभूमि के समाधान के लिए वनों पर ग्राम सभाओ के सदियों पुरानी मांग को 2006 में वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत, सामुदायिक अधिकार दिया। दुर्भाग्य से आज भी इस क़ानून का अमल नहीं दिखता। उस समय मनरेगा, RTI जैसे कई महत्वपूर्ण क़ानून बने और लागू हुए पर इस क़ानून को लागू करने को लेकर ब्यरोक्रेट और सरकारें कतराते रही है। वनों पर सामुदायिक पट्टा मिलने से वनों का सरक्षण सवर्धन और उचित प्रबंधन से ग्रामीणों का आर्थिक पर्यावरणीय विकास सुनिश्चित होगी।
समाज और सरकार के सामूहिक प्रयास से पर्यावरण संतुलन, ग्लोबल वार्मिग, जैसे गंभीर समस्याओं के समाधान के साथ साथ ग्रामीणों आजीविका बेहतर होगी। इसलिए क़ानून को लेकर व्यापक जागरूकता लाने की जरूरत है।
सभा में हजारों संख्या में ग्रामीण उपस्थित हुवे। पारम्परिक ढ़ोल नगाड़ो के ताल में नाचते गाते थिरकते पुरे गांव में जुलूस के साथ बोर्ड गाड़कर अपने अधिकारों की घोषणा किया।
मौके पर प्रेमसुंदर लकड़ा दर्शन गंझु, चिंतामन गंझु, रामकुमार उरांव, बालेश्वर उरांव, जोधन महतो समेत कई लोग मौजूद थें।
Author: news24jharkhandbihar
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