समस्या: कुंदा के सिंदूरी टोला बाचकून में चुआं का पानी पीने को मजबूर है ग्रामीण

सरकार के विकास का खोखली बुनियाद, लोगो को शुद्ध पेयजल मिलना भी मुश्किल

चतरा जिला के सुदूर वर्ती क्षेत्र कुंदा प्रखंड विकास से कोसो दूर है। यहां के ग्रामीण विकास योजनाओं से आज भी महरूम है। गांव के अंतिम व्यक्ति का विकास और सरकारी योजनाओं का लाभ देने का राज्य सरकार का सपना अधूरा है। लोगो के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य विकास का खोखली बुनियाद बन कर रह गई।



चतरा जिला मुख्यालय से 42 किमी दूरी पर स्थित है कुंदा प्रखंड। आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद कुंदा प्रखंड में स्थित नवादा पंचायत के सिंदरी गांव का समुचित विकास नहीं हो सका। सिंदरी वा बाचकुन के ग्रामीणों के पास ना चलने के पक्की सड़क है, और ना रहने के सभी लोगो के पास पक्का मकान है। ग्रामीण आज भी कच्चे पगडंडियों के सहारे अपने गंतव्य तक आना जाना करते है। आलम ये है यहां के लोगो को पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है, आज भी बाचकुन गांव में रहने वाले ग्रामीण चुआं बना कर नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर है।

चुआं का पानी ले जाती महिला

ग्रामीणों ने कहा कि 75 साल बीतने के बावजूद कोई भी जनप्रतिनिधि गांव के विकास के लिए कदम आगे नहीं बढ़ाया। चुनाव के समय जनप्रतिनिधि गांव पहुंचते है, और चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि सभी विकास के वादे भूल जाते है। ग्रामीणों ने आगे बताया कि गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव में कुआं बहुत कम है, डीप बोरिंग भी नही है। कुआं गर्मी आने से पहले ही जवाब दे देता है। ग्रामीणों को पानी के लिए दूर नदी भी जाना पड़ता है। बाचकुन के ग्रामीणों ने पेयजल के लिए चतरा डीसी से गांव में डीप बोरबेल वा कुआं बनाने का मांग किए है।

कुंदा से रंजीत का रिपोर्ट

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Author: news24jharkhandbihar

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