जातिवाद और मनुवादी व्यवस्था पर गरजे मखदुमपुर विधायक सतीश दास

प्रतापपुर में अम्बेडकर जयंती समारोह में बोले – “ब्राह्मण कभी बहुजनों का भला नहीं सोच सकते”

 

 

प्रकाश कुमार | प्रतापपुर (चतरा)

“जाति के नाम पर देश को तकनीक से दूर रखकर बहुजन समाज को पीछे धकेला गया। आज भी ब्राह्मण आपके घर पूजा कराने आता है, तो आपके लिए अच्छे स्वास्थ्य, धन या ज्ञान की कामना नहीं करता।” – यह तीखा बयान बिहार के मखदूमपुर विधायक सतीश दास ने प्रतापपुर में आयोजित अम्बेडकर जयंती समारोह के दौरान दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इस प्रतिमा की स्थापना एक साल के लंबे संघर्ष और प्रयासों का परिणाम है। पूर्व मंत्री सत्यानंद भोगता, विधायक सतीश दास, भीम आर्मी के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर योगेश कुमार दास, भीम आर्मी के अन्य पदाधिकारी और अन्य गणमान्य लोगों ने माल्यार्पण कर अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी।

समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल विधायक सतीश दास ने अपने भाषण में जातिगत भेदभाव, मनुवादी व्यवस्था, नई शिक्षा नीति और वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर केंद्र सरकार पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि इस देश में जाति आधारित पेशों के नाम पर डोम, चमार, धोबी और कहार जातियों को नीचा दिखाया गया। महिलाओं को पढ़ने से रोका गया, जबकि शिक्षा की देवी एक महिला ही मानी गई।नई शिक्षा नीति हमें शिक्षा से दूर कर रही है। किताबों में अंबेडकर मिलेंगे, मूर्तियों में नहीं।गृह मंत्री अमित शाह ‘तड़ीपार’ हैं, जो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के जरिए मस्जिदों, कब्रगाहों और मदरसों की जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि

पूर्व मंत्री सत्यानंद भोगता ने आयोजनकर्ताओं की सराहना करते हुए प्रतिमा स्थल को छायादार बनाने के लिए एक लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने अपने मंत्रीकाल की उपलब्धियाँ गिनाते हुए कहा कि जो कार्य उन्होंने किए हैं, उन्हें संरक्षित रखना ही अब सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।भीम आर्मी की लातेहार जिलाध्यक्ष अनीता देवी ने शिक्षा को “शेरनी का दूध” बताते हुए बहुजन समाज को अपने बच्चों को शिक्षित करने की सलाह दी।सभा का संचालन कर रहे राजस्व कर्मचारी राम नगीना राम ने आदिवासी समुदाय के प्रति समाज की सोच पर सवाल उठाए और कहा कि पहले उन्हें असुर और राक्षस कहा जाता था, अब नक्सलवादी कहा जाता है।

यह समारोह सिर्फ श्रद्धांजलि का अवसर नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और वैचारिक क्रांति का मंच बन गया। विधायक सतीश दास के बेबाक और तीखे बयानों ने इस आयोजन को खास बना दिया, वहीं राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।

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Author: news24jharkhandbihar

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