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ब्लास्टिंग से डर के साये में जीने को मजबूर है आंगनबाड़ी केंद्र के आदिवासी बच्चे

विजय शर्मा

देवलगड्डा आंगनबाड़ी केंद्र के आदिवासी बच्चे व ग्रामीणों का जीवन बीत रहा है डर के साये में

करोड़ो का मुनाफा कमाने वाले प्रबंधन का दावा निकला खोखला दो वर्षों से विस्थापन का नहीं हुआ स्थल चयन,

विस्थापितों गांव में खुशी और हरियाली के जगह छाई है मायूसी

टंडवा: टंडवा मगध कोयलांचल के परियोजना के विस्थापितों गांव में बसे ग्रामीण आदिवासी व दलितों परिवार इन दिनों दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। ग्रामीण जिस स्थान पर रहे हैं, जहाँ देवलगड्डा गांव के आंगनबाड़ी केंद्र है। इस केंद्र में आदिवासी के दर्जनों बच्चे पढ़ते हैं। उससे महज 15 मीटर की दूरी पर मगध के ओपनकास्ट माइनिंग चल रहा है। हैवी ब्लास्टिंग और उत्खनन कार्य में लगे मशीनों की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र ओर घर में कंपन शुरू हो जाता है। लोगों का आरोप है कि सीसीएल के मगध प्रबंधन उन्हें उजाड़ने पर आमादा है। आदिवासी इसका पुरजोर विरोध भी कर रहे हैं। विरोध के बाद प्रबंधन के यहां बसे आदिवासी ग्रामीणों को दो सालों से दूसरे स्थान पर शिफ्ट करा देने की बात भी कह रही है। पर प्रबंधन सिर्फ अपना प्रमोशन पाने के लिए अरबों का मुनाफा कमाने में व्यस्त है। दो साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी का विस्थापन का लाभ नहीं मिल सका और दूसरे स्थान पर शिफ्ट कराने का स्थल चयन नही कर सका। जिससे प्रबंधन का घोर लापरवाही और नाकामी साबित आदिवासियों ने कर दिया है।

आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को बनी रहती है अनहोनी की आशंका

सीसीएल के मगध परियोजना के देवलगड्डा गांव के महज 15 मीटर की दूरी पर ही ग्रामीण बसे हैं। हैवी ब्लास्टिंग और कोयले के उत्खनन के कारण इन ग्रामीणों का जीना मुहाल हो चुका है। आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को पढ़ते समय अनहोनी घटना का भय सताते रहता है। यहां की रहने वाली महिलाओं का कहना है कि हैवी ब्लास्टिंग और उत्खनन कार्य के कारण घर की दीवारों में कंपन होने लग जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र व समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में अनहोनी की आशंका बनी रहती है। देवकी देवी ने कहा कि मशीनों के चलने से घर में कंपन होती है। इससे हमेशा खतरा बना रहता है बताया जाता है की प्रबंधन मनमाने ढंग से कर रहा उत्खनन, फर्जी रिपोर्ट पर कई काम हो चुका है पूरा विस्थापन का आश्वासन देकर कई घरों का उजाड़ा गया, दो वर्षों से स्थाक नहीं हुआ चयन
वहीं स्थानीय युवाओं ने भी विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मगध प्रबंधन मनमाने ढंग से उत्खनन कार्य कर रहा है। उत्खनन का कार्य बस्ती के नजदीक में चलाया जा रहा है। प्रबंधन हम सभी को हटाने के लिए दो वर्षों से आश्वासन देते आ रही है पर सच्चाई यह है कि अभी तक कहीं स्थान चयन तक नहीं किया गया है। प्रबंधन अपना पेट भरने में और प्रमोशन के होड़ में जैसे तैसे भोली भाली आदिवासियों को जमीन पर कोयला उत्पादन कर नाम कमाने पर तुले हुए हैं। इसका ग्रामीणों ने पुरजोर विरोध कर रहा है।

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Author: news24jharkhandbihar

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