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ग्रामीण अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है महुआ फसल

हजारीबाग(झारखंड ):प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र की प्रमुख नकदी फसल महुआ फल गिराना प्रारंभ हो गई है।ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के साथ खेतों, जंगलों में लगे हुए महुआ पेड़ों के नीचे गिरने वाले महुआ फूलों को एकत्रित करने में व्यस्त हैं।प्रखंड के लिए महुआ की फसल ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है। महुआ सीजन आने से रोजगार के लिए पलायन करने वाले ग्रामीण भी अब क्षेत्र में वापसी करने लगे हैं।महुआ की फसल होली के बाद से ही थोड़ी-थोड़ी मात्रा में आना प्रारंभ हो जाती है,किंतु गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही महुआ फूलों के गिरने की मात्रा बढ़ने लगती है। इन दिनों ग्रामीण प्रतिदिन बीस से पच्चीस किलो सूखा महुआ फूल एकत्रित कर रहे हैं।गत दिनों बेमौसम बारिश के कारण महुआ फसल के बिगड़ने की आशंका थी।ग्रामीणों ने बताया कि जब बारिश हुई तो महुआ फूलों की फुनगियां खुली नहीं थीं, जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। यही पानी अगर फुनगिया खुलने के बाद गिरता तो सारी फसल बिगड़ जाती।महुआ ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। मार्च से महुआ सीजन के आगमन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में शादीब्याह भी प्रारंभ हो जाते हैं,जो जुलाई मध्य तक चलते हैं। महुआ सीजन होने से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाती है,जिससे क्षेत्र में व्यापार-व्यवसाय में अच्छा उठाव आ जाता है।अधिक उत्पादन औ अच्छी गुणवत्ता के कारण महुआ क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध झारखंड में महुआ के अधिक उत्पादन और अच्छी किस्म के कारण प्रसिद्ध है। क्षेत्र में महुआ के अत्यधिक पेड़ हैं, जो कि वन क्षेत्रों के अलावा निजी खेतों में भी लगे हैं।इन पेड़ों पर लगे महुआ का रंग, स्वाद और इससे निकलने वाली शराब अन्य क्षेत्रों के महुआ की तुलना में श्रेष्ठ होती है। इस कारण क्षेत्र का महुआ अन्य क्षेत्र की तुलना में अधिक कीमत में बिकता है।

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Author: news24jharkhandbihar

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