एनटीपीसी केरेडारी परियोजना में हड़ताल कर रहे ग्रामीणों वा पुलिस कर्मियों में झड़प, 4 पुलिस कर्मी समेत 3 ग्रामीण घायल

केरेडारी। एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ एनटीपीसी केरेडारी कोल परियोजना में विस्थापित प्रभावित मोर्चा के आहूत हड़ताल में पहुंचे ग्रामीणों वा पुलिस कर्मियों के बीच जोरदार झड़प हुई। ग्रामीणों वा पुलिस कर्मियों के बीच हुवे झड़प में हजारीबाग पुलिस लाइन से पांडू पहुंचे क्राइम कंट्रोल यूनिट के संतोष सिंह, विनोद यादव, ब्रह्मदेव मेहता, नागेंद्र राम समेत ग्रामीण संतोष साव पिता चंद्रदेव साव, पार्वती देवी पति पवन साव, आनंद कुमार पिता राजेश साव घायल हुवे हैं। पुलीस कर्मी संतोष सिंह को माथे में चोट है। जिसे केरेडारी सीएचसी में प्राथमिक उपचार के उपरांत बेहतर उपचार के लिएहजारीबाग रेफर कर दिया गया। वहीं पुलिस संतोष साव वा आनंद साव को कब्जे में कर लिया हैं। घटना गुरुवार दोपहर 12.30 बजे की हैं।
घटना के उपरांत पुलिस कर्मियों ने हड़ताल में पहुंचे महिला वा पुरुषों को हल्का बल प्रयोग करते हुवे माइंस से बाहर खदेड़ दिया। तत्पश्चात उग्र ग्रामीणों ने बसरिया पांडू मार्ग में बने एनटीपीसी के साइट कार्यालय गेट के समीप हड़ताल में बैठ गए। जहां ग्रामीण महिलाएं एनटीपीसी प्रबंधन से हक अधिकार के मांग को लेकर हंगामा कर रहे थें।

क्या हैं मामला

हजारीबाग जिला के केरेडारी वा बड़कागांव में संचालित एनटीपीसी कोल परियोजना प्रबंधन से हक अधिकार के मांग को लेकर प्रभावित विस्थापित मोर्चा बड़कागांव एवं केरेडारी के द्वारा 5 सितंबर से हड़ताल शुरू किया गया। केरेडारी कोल परियोजना में महिला पुरुष पर हड़ताल को सफल बनाने को लेकर परियोजना क्षेत्र में चल रहे वाहनों को बंद कराने पहुंचे, इसी दौरान परियोजना क्षेत्र में तैनात पुलिस कर्मियों वा ग्रामीणों में झड़प हो गया। जिसमे तीन ग्रामीण समेत 4 पुलिस कर्मी घायल हो गए।

घायल महिला पार्वती देवी ने पुलिस कर्मियों के द्वारा डंडे से पीटने का आरोप लगाई हैं। वहीं घायल संतोष सिंह ने कहा ग्रामीणों के द्वारा पत्थर चलाया गया था, जिससे मेरा माथा फट गया हैं।

मूलभूत सुविधाओं के मांग को लेकर हड़ताल में एक जुट हुवे ग्रामीण

हड़ताल में शामिल रैयतों ने अपने मांग को लेकर हड़ताल में हैं। रैयतों ने एनटीपीसी प्रबंधन से पकरी बरवाडीह, चट्टीबारियातु, केरेडारी कोल माइनिंग प्रोजेक्ट हेतू एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा अधिग्रहित गावों का सामाजिक प्रभाव आकलन जिला प्रशासन से कराने, 2013 अधिनियम के तहत भूस्वामियों के जमीन का मुआवजा वा पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन देने, ग्रामीणों का निष्कासन बलपूर्वक नही करने, विस्थापितों के ऊपर दर्ज झूठे मुकदमें वापस लेने, गैर मजरूआ जमीन का सत्यापन कराकर रैयती के समकक्ष मुआवजा देने, जंगल झाड़ी का वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत वन पट्टा देकर मुआवजा का भुगतान कराने, रैयतों को एनटीपीसी प्रबंधन के अंतर्गत नौकरी देने, पकरी बरवाडीह, चट्टी बरियातु एवं केरेडारी कोल माइनिंग प्रोजेक्ट में स्थानीय 75 प्रतिशत रोजगार देने, एनटीपीसी एवं उसके अधीनस्थ कंपनियों में बाहरी लोगों को नौकरी देना बंद करने, सीएसआर के तहत केरेडारी तथा बड़कागांव में 100 बेड वाले अस्पताल का निर्माण करने, कौशल विकास केन्द्र तथा कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण कराने, केरेडारी वा बड़कागांव में 24 घण्टें बिजली की आपूर्ति करने, खनन, प्रेषण, परिवहन एवं निर्माण कार्यों में सथानीय ग्रामीणों को प्राथमिकता देने, सिकरी गारमेन्ट महिलाओं के लिए खोल कर रोजगार से जोडने के मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। रैयतों ने कहा एनटीपीसी तानाशाही व्यवस्था लागू करना चाहती हैं। जिसे किसी भी हाल में पूरा नहीं होने देंगे।

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Author: news24jharkhandbihar

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