निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री, बिना ऊपरी भुगतान के नहीं होता है – रोशन लाल चौधरी
• केरेडारी बड़कागांव पतरातु प्रखंड अंचल कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम पर अंचल कार्यालय बना हैं भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा
बड़कागांव। बड़कागांव विधायक रोशनलाल चौधरी ने कटौती प्रस्ताव के पक्ष में सदन का ध्यान आकृष्ट कराने से पहले झारखण्ड राज्य के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न डॉक्टर अटल बिहारी वाजपेई को याद करते हुए झारखंड के शहीदों को नमन किया। वर्तमान बजट में कई विभागों के बजट में कटौती किया गया हैं। जिससे राज्य के विकास में कटौती होगा। इन्होंने आगे कहा कि राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग राजस्व संग्रह के साथ-साथ भूमि संबंधी समस्याओं का निराकरण एवं भू अर्जन, विस्थापन पुनर्वास, मुआवजा भुगतान जैसे कार्य को करता है। विभाग की राजस्व प्राप्ति की प्रक्रिया पूर्णतः भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ा हुआ है। राज्य के राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार मंत्री भी मानते है कि अपनी ही जमीन की रसीद कटवाने के लिए लोगों को कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसलिए अब राज्यवासियों को बार कोड की सुविधा मिलेगी, ताकि वे मोबाइल से ही अपनी जमीन की रसीद काट सकें। दाखिल खारिज के हजारों मामले लंबित है। निबंधन कार्यालय में भी रजिस्ट्री बिना ऊपरी भुगतान के नहीं होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार इस चरम पर है की एक छोटा सा उदाहरण हमारे विधानसभा क्षेत्र का केरेडारी और बड़कागांव अंचल का ले सकते हैं दोनों अंचल में 12960 वाद दाखिल खारिज के स्वीकृत किया गया। दूसरी ओर 11099 अस्वीकृत कर दिया गया। यही हाल पतरातू अंचल का है 3668 वाद स्वीकृत किए गए तो दुसरी ओर 1769 वाद अस्वीकृत किया गया। तीनों प्रखंडो में भूमि मापी, विभिन्न प्रमाण पत्र, परिशोधन पोर्टल के 1,29, 824 ममाले पेंडिंग है। राज्य में इसकी स्थिती क्या होगी इसका अनुमान ही लगाया जा सकता है। आधिकारी अनुचित कारण बता कर आवेदनों को रद्द किया जाता है। लेकिन अंचलाधिकारियो पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद से झारखंड राज्य के आदिवासी और मूलवासी अपने हितों की रक्षा के लिए अलग राज्य की मांग कर रहे थे लंबे संघर्ष के बाद जब अलग राज्य मिला तो प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राज्य के लोगों की सोच थी की राज्य के औद्योगिकीकरण से झारखंड के लोगों का भविष्य सुनहरा होगा । पूर्व में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 एवम कोल वायरिंग एरिया एक्ट, 1857, के अंतर्गत उद्योगों , जलाश्यो ,खानों की स्थापना हेतु काफी भूमि अर्जित की गई। भूमि अधिग्रहण के कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए और अपनी वन, भूमि ,जंगल ,जल , सामुदायिक पहचान एवं जीविका उपार्जन के साधन को खो गए।
बीएसएल बोकारो से विस्थापित 19 गांवों के 50000 हज़ार परिवार, बीसीसीएल धनबाद से विस्थापित 235 गांवों के150000 हज़ार परिवार, एचईसी हटिया रांची से विस्थापित 32 गांवों के हज़ार परिवार, सीसीएल से विस्थापित 70 गांवों के 5000 हज़ार परिवार, एनटीपीसी केराडरी, बड़कागांव, परारतु से विस्थापित 70 गांवों के 5000 हज़ार परिवार, अडानी, जिंदल, रूंगटा, जैसे कोल आयरन बॉक्साइट खनन कंपनियों से हजारों गांव के लाखों लोग विस्थापित हुए है।
राज्य में भुआर्जन , विस्थापन, पुनर्वास, मुआवजा भुगतान की नीति स्पष्ट नहीं रहने के कारण राज्य के मूल निवासी, आदिवासियों को विस्थापन का भयंकर दंस झेलना पड़ा है। लोगों को उम्मीद थी। झारखंड विस्थापन पुनर्वास एवम पुनर्स्थापना उचित प्रतिकार प्रदर्शित का अधिकार अधिनियम 2013 के तहत उचित विस्थापन पुनर्वास और मुआवजा का भुगतान किया जाएगा । इस एक्ट के अनुसूचि 1, अनुसूची 2, अनुसूची 3 में विस्थापितों के लिए कुछ न्याय संगत उपाय किए गए लेकिन कम्पनियों के केवल दोहन की नीति के कारण विस्थापितो की हित में अनुसूचि 1, अनुसूची 2, अनुसूची 3 का अनुपालन कंपनियों द्वारा नही किया जा रहा है। जिसके कारण विस्थापितों स्थिति और खराब हो गई।
एक्ट के तहत PPP परियोजनाओं के लिए 70% भूमिधारकों की सहमति, और निजी परियोजनाओं के लिए 80% भूमिधारकों की सहमति की ज़रुरत है। लेकिन कम्पनियों के द्वारा बिना भू अर्जन का मुआवजा भुगतान के रातों रात डोजरिंग कर रैयतों भूमि हीन कर दिया जाता हैं।
एक्ट में विस्थापितियो को मकान के बदले मकान, भूमि के बदले भूमि, स्थयी नियाजन,रोजगार के अवसर प्रदान करना ,अनुदान,सभी पुनर्व्यवस्थापन भता जैसी व्यवस्था है लेकिन कम्पनियों के द्वारा केवल कोरम पूरा किया जाता है।
विस्थापितों को विस्थापन के बाद जो सुविधा मिल रही है वह पर्याप्त नहीं है। 12 वर्ष पहले की दर से भता का भुगतान हो रहा है जिससे बढ़ाया जाए। पुनर्व्यवस्थापन भत्ता को 50000 से 5 लाख किया जाए । विस्थापित कुटुंबों के लिए परिवहन खर्च को 50000 से ढाई लाख किया जाए । भू -अर्जन के बाद भूमि का व्यवसायिक उपयोग को देखते हुए भूमि का मुआवजा का दर व्यवसायिक भूमि के बाजार मूल्य के दर को आधार मानकर 4गुना भुगतान किया जाय। एक्ट के अनुसूचि 1, अनुसूची 2, अनुसूची 3 में विस्थापितों के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए विस्थापन, पुनर्वास,पुनर्व्यवस्थापन आयोग का गठन किया जाय ।महोदय राज्य के विभिन्न विभागों में चालू वित्तीय वर्ष के 11 महीने में योजना बजट की 63.25% राशि ही खर्च हो सका है। बचे हुए 20 दिन में राज्य सरकार के समक्ष 37% राशि खर्च करने के चुनौती है। वही परिवहन विभाग के चालू वित्तीय वर्ष के 11 महीने में खर्च की स्थिति एकदम निराशाजनक है। कुल योजना बजट का 6% ही खर्च हुआ है । 175 करोड रुपए का योजना बजट था राशि खर्च नहीं होने के कारण ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक कम ऑटोमेटिक ड्राईविंग स्कूल ट्रैफिक पार्क का निर्माण , ऑटोमेटिक ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के कार्य को भी नहीं करना है। मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना जो लोगों के लिए फ्री में चलनी थी उसके लिए भी पैसे खर्च नहीं किए गए।
आगे उन्होंने कहा कि मेरा विधानसभा क्षेत्र के हजारीबाग बड़कागांव -केरेडारी- टंडवा मुख्य पथ पर एनटीपीसी, सीसीएल एवं रेलवे रैक साइडिंग टंडवा, टोरी, बचरा, कटकमसांडी के सैकड़ों भारी वाहनों के द्वारा कोयल ढुलाई की जाती है। प्रायः ओवर लोडिंग वाहन पथ में चलते हैं। भारी वाहनों से प्रायः दुर्घटना घटित हो रहती है । विगत दिनों लगातार दुर्घटनाएं हुई है ।
महोदय बड़कागांव मुख्य बाजार के बाहर से, तथा बड़कागांव पकरी -बरवाडीह, केरेडारी- बनादाग के बीच अलग से फोर लेन बाई पास रोड या ट्रांसपोर्ट लेन निर्माण करने की उम्मीद करता हूं। सरकार ने मेरे एक प्रश्न के उत्तर में पतरातु- रांची मुख्य पथ से नलकारी मोड़ से हरिहरपुर सुथरपुर तथा जिंदल मुख्य पथ भाया सलगो , सुथरपुर होते हुए मांदरो चौक कुच्चू औरमांझी तक पथ को निधि की उपलब्धता पर अगले वित्तीय वर्ष मे पथ निर्माण विभाग में हस्तांतरित करने की बात कही गईं। जनहित में इस पथ के निर्माण को वर्तमान वित्तीय वर्ष में शामिल किया जाय। पतरातु- प्रखण्ड के चैनगढ़ा मुख्य पथ से भुरकुंडा (सयाल मोड) तक के ग्रामीण पथ को पथ निर्माण विभाग में हस्तांतरित किया जाय। यह 25 वर्षों से जर्जर स्थिति में है।

Author: news24jharkhandbihar
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